धर्म की प्रतीक 'यशोदाबेन' को समर्पित

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अक्सर, पैसों/ वासना के कारन धरम, सच्चाई को बिकते देखा है इस छोटी उमर में,

बड़े-बड़ों, रसूखदारों और धनाढ्यों को ज़मीर की नीलामी करते पहचाना है एक नजर में,

औरत, अबला, शक्ति, कुलटा, मोहपाशिनी, पत्नी के नाम पर करते हैं जो इस्तेमाल उसे हर समर में,

छलने चल पड़े हैं आज फिर छलिये, उस धर्मरक्षिणी, त्यागमयी, तपस्विनी, योगिनी के डगर में.




(आज के नास्तिक और अधर्म-युग में धर्म की प्रतीक 'यशोदाबेन' को समर्पित)

-मिथिलेश 

मिथिलेश - Mithilesh

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भारत में ही नहीं, वरन विश्व में सर्वाधिक लोकप्रिय ग्रंथों में से एक है श्री रामचरित मानस. हर युग में इसकी महिमा, आदर्श और जीवनोपयोगी व्यवहारिकता अपनाने योग्य है. विभिन्न ज्ञात-अज्ञात श्रोतों से इकठ्ठा करके आप तक इसे पहुँचाने का कार्य कर रहे हैं मिथिलेश, जो एक लेखक, पत्रकार और वेबसाइट डिज़ाइनर हैं. सभी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए हम यह उम्मीद करते हैं कि हमारे जीवन में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के आदर्श समाहित होंगे और हम जीवन लक्ष्य पाने की दिशा में मजबूती से अपने कदम बढ़ा सकेंगे. जय श्री राम !!

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