अभ्यागतों की विदाई

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अब श्री रामचन्द्र जी नियमपूर्क प्रतिदिन राजसभा में बैठकर राजकाज संभालकर शासन चलाने लगे। कुछ दिन पश्‍चात् राजा जनक ने विदा लेकर मिथिला के लिये प्रस्थान किया। इसके पश्‍चात् कैकेय नरेश युधाजित, काशिराज प्रतर्दन तथा अन्य आगत राजा महाराजा भी विनयपूर्वक अयोध्या से विदा हुये। फिर उन्होंने सुग्रीव, हनुमान, अंगद, नील, नल, केसरी कुमुद, गन्धमादन, सुषेण, पनस, वीरमैन्द, द्विविद, जाम्बवन्त, गवाक्ष, विनत, धूम्र, बलीमुख, प्रजंघ, सन्नाद, दरीमुख, दधिमुख, इन्द्रजानु तथा अन्य वानर यूथपतियों को नाना प्रकार के वस्त्राभूषण-रत्‍नादि देकर सम्मानित किया और उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा करके उन्हें विदा किया।

फिर वे विभीषण को विदा करते हुये उनसे बोले, “राक्षसराज! तुम धर्मपूर्वक लंका पर शासन करना। तुम धर्मात्मा हो। मुझे विश्‍वास है कि तुम कभी धर्म विरुद्ध कोई कार्य नहीं करोगे। अपनी प्रजा का पुत्रवत् पालन करना।”

विदा होने से पहले हनुमान बोले, “प्रभो! मुझे ऐसा वर दीजिये कि आपके प्रति मेरी अटूट भक्‍ति सदा बनी रहे। आपके सिवा कहीं और मेरा आन्तरिक अनुराग न हो। इस पृथ्वी पर जब तक राम कथा प्रचलित रहे, तब तक मेरे प्राण इस शरीर में ही बसे रहें।”

हनुमान की बात सुनकर श्रीराम ने उन्हें हृदय से लगा लिया और बोले, “ऐसा ही होगा।” संसार में जब तक मेरी कथा प्रचलित रहेगी, तब तक तुम्हारे प्राण भी तुम्हारे शरीर में बने रहेंगे। तुमने जो उपकार किये हैं, उनके लिये मैं सदा तुम्हारा ऋणी रहूँगा।” फिर वे सब लोग श्रीराम का गुणगान करते हुये वहाँ से विदा हुये।

विभीषण, सुग्रीव, हनुमान आदि के विदा हो जाने पर भरत बोले, “राघव! आपको राजसिंहासन पर बैठे एक मास हुआ है। इस अवधि में सभी लोग स्वस्थ और निरोग दिखाई देते हैं। बूढ़े आदमियों के पास भी मृत्यु फटकने में हिचकती है। सभी बाल-युवा नर-नारियों के शरीर हृष्ट-पुष्ट और कान्तिमय प्रतीत होते हैं। मेघ समय पर अमृत के समान जल बरसाते हैं। हवा ऐसी चलती है कि उसका स्पर्श सुखद और शीतल जान पड़ता है।”

भरत की ये बातें सुनकर श्रीराम अत्यन्त प्रसन्न हुए।

मिथिलेश - Mithilesh

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भारत में ही नहीं, वरन विश्व में सर्वाधिक लोकप्रिय ग्रंथों में से एक है श्री रामचरित मानस. हर युग में इसकी महिमा, आदर्श और जीवनोपयोगी व्यवहारिकता अपनाने योग्य है. विभिन्न ज्ञात-अज्ञात श्रोतों से इकठ्ठा करके आप तक इसे पहुँचाने का कार्य कर रहे हैं मिथिलेश, जो एक लेखक, पत्रकार और वेबसाइट डिज़ाइनर हैं. सभी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए हम यह उम्मीद करते हैं कि हमारे जीवन में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के आदर्श समाहित होंगे और हम जीवन लक्ष्य पाने की दिशा में मजबूती से अपने कदम बढ़ा सकेंगे. जय श्री राम !!

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